जिस एंबुलेंस में शव था, वह श्मशानघाट की इलेक्ट्रिक भट्ठी से सिर्फ 15 कदम की दूरी पर खड़ी थी। लेकिन वहां तक भी ले जाने के लिए न तो नयागांव नगर काउंसिल के कर्मचारी आगे आए और न स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ। आखिरकार डेढ़ घंटे बाद निगम कमिश्नर मोहाली ने मौके पर निगम के जेई को भेजा। उन्होंने पहले शव को सेनेटाइज करवाया और फिर श्मशानघाट के दो कर्मचारियों को बुलाकर पीपीई किट पहनाई। इसके बाद कहीं जाकर तीन लोगों की मदद से शव को एंबुलेंस से बाहर निकालकर इलेक्ट्रिक भट्ठी तक ले जाया गया।
बेटा कभी पंडितों तो कभी लेबर वालों के पास धक्के खाता रहा
पिता का संस्कार करने के लिए परिवार से अकेला बेटा आया था। मुंह पर मास्क, सिर पर टोपी, कपड़ों के ऊपर स्काई कलर का एप्रेन पहने वह श्मशान में मौजूद पांडों के पास गया और बोलता रहा कि दो मिनट की बात है, बॉडी एंबुलेंस से बाहर निकलवा दो। लेकिन वे भी डर के मारे पीछे ही रहे। कभी बेटा वहां पर मौजूद कर्मचारियों की मिन्नतें करता था। लेकिन सभी ने जवाब दिया कि वे अधिकारियों के कहने के बाद सेफ्टी किट पहनकर ही काम करेंगे। बेटा पहले ही पिता की मौत से मायूस था, ऊपर से शव को कंधा देने के लिए कोई नहीं मिला तो और ज्यादा परेशान हो गया।
निगम कमिश्नर ने करवाई लाश के संस्कार की व्यवस्था
शव एंबुलेंस से न उतारने की जानकारी श्मशान के पंडित ने मोहाली के निगम कमिश्नर कमल कुमार गर्ग को दी। निगम के जेई नंदन बंसल मौके पर पहुंचे। उनके आने के बाद नयागांव नगर काउंसिल की टीम अपनी गाड़ी से बाहर निकलकर आई। श्मशानघाट के दो कर्मचारियों को सेफ्टी किट जेई द्वारा पहनाई गई। तीन लोगों ने लाश उठाई और शाम साढ़े 6 बजे संस्कार हुआ।
स्वास्थ्य विभाग की टीम श्मशान के बाहर ही दे गई सेफ्टी किट
कोरोना पेशेंट्स का संस्कार किस प्रकार से किया जाना है, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी व सेफ्टी किट मुहैया करवानी थी। नगर काउंसिल नयागांव के एसडीओ जो लाश के साथ आए थे, उन्होंने कहा कि विभाग की टीम आई थी, लेकिन श्मशान के बाहर से ही सेफ्टी किट पकड़ाकर चलती बनी। हमें नहीं पता था कि कैसे संस्कार करना है।